शाकाहार अपनाएं और स्वस्थ रहे

          सारी दुनिया में भारत ही ऐसा देश है जिसमें करोड़ों शाकाहारी लोग रहते हैं यह शाकाहारी लोग मांस, मछली, अंडा नहीं खाते शाकाहार को धर्म का हिस्सा मानते हैं गांधी जी का कहना था कि शाकाहारी भोजन न केवल शरीर की जरूरतों को पूरा करता है बल्कि है आर्थिक प्रायोजन की भी पूर्ति करता है मांस अनाज फल सब्जियां से कई गुना महंगा होता है यदि मनुष्य शाकाहार अपनाता है तो वह आर्थिक बचत भी करता है मांसाहार मानव शरीर के लिए हानिकारक है वह स्वास्थ्य तो खराब करता ही है इससे आर्थिक नुकसान भी होता है और यह है पर्यावरण को भी हानि पहुंचाता है

       साथियों हमारा कुशवाहा समाज तो अनादि काल से खेतिहर कृषक समाज रहा है हमारी समाज को कृषि कार्य में निपुणता हासिल है अनाज दलहन तिलहन फल फूल सब्जी दूध का १०० प्रतिशत उत्पादन कृषक समाज द्वारा किया जाता है शाकाहार खाद्य के उत्पादन में हमारी समाज का बहुत बड़ा योगदान है विशेषकर सब्जी उत्पादन एवं पूर्ति में कुशवाहा समाज का कोई तोड़ नहीं है

       पशु पक्षी का मांस अंडे मछली का आहार मानव धर्म के विरुद्ध है मानव धर्म हमें अंडे मछली मांस खाने की अनुमति नहीं देता मनुष्य जन्म एवं स्वभाविक रूप से शाकाहारी प्राणी होता है इसके लक्षण मांसाहारी प्राणियों से बिल्कुल भिन्न होते हैं मांसाहारी प्राणियों के जबड़े के २ दांत और हाथ पैर के नाखून नुकीले होते हैं इनके जन्मजात बच्चों की आंखें बंद एवं पानी चार्ट कर पीना आदि लक्षण शाकाहारी प्राणियों के बिल्कुल विपरीत होते हैं एक कहावत है जैसा खान अन्न वैसा होगा मन जैसा पिएंगे पानी जैसी होगी बांणी मानव समाज जब पशु की तरह भोजन करेगा तो उसकी बुद्धि विचार चिंतन मनन स्वता ही पशुपत हो जाएगा अशुद्ध आहार से ना केवल मन बुद्धि चित्त अंतःकरण ही गंदे हो जाते हैं बल्कि जीवात्मा भी दूषित हो जाती है इसलिए कुशवाहा समाज के साथ-साथ हर मनुष्य शुद्ध शाकाहारी और नशा मुक्त होकर जीवन यापन करें तो परिवार समाज और देश दुनिया के सारे झगड़े अपने आप समाप्त हो जाएंगे और समाज में सुख शांति और खुशहाली छा जाएगी 

       साथियों यदि हम आर्थिक दृष्टि से देखें तो १ किलो मांस लगभग ५०० रूपए का आता है और शाकाहार सब्जी १०रूपए से ३०रूपए किलो तक अब हम २० से २५ दिन का खर्चा १ दिन के मांसाहार पर करते हैं तो यह घर परिवार या समाज के साथ कहां का न्याय होगा मांस मदिरे पर खर्च होने वाले धन को यदि हम बच्चों की उच्च शिक्षा दीक्षा पर लगाएं तो हमारे बच्चे परिवार समाज और देश का भविष्य सवर जाएगा

       साथियों इसलिए मनुष्य को मांस मदिरे के भक्षण को बंद कर शाकाहारी बनना अति आवश्यक है

-भूपेंद्र सिंह कुशवाहा शिवपुरी